मनुष्य विवेकशील प्राणी होने के नाते निरंतर अपने विकास की ओर अग्रसर रहता है। और शायद यही कारण है कि मनुष्य निरंतर दूसरों से बेहतर करने का प्रयास करता रहता है। यद्यपि यह एक स्वच्छ वातावरण का निर्माण करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है परंतु जब समाज संसाधनों के असमानता से सुशोभित हो तब कैसे? आय असमानता के ऊपर प्रसिद्ध फ्रांसीसी अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी व उनके सहयोगी लुकास लांसेल ने एक रिपोर्ट तैयार की है । इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि वर्ष 1922 (जब पहली बार कानून बनाकर आयकर लगाया गया था) के बाद से वर्तमान में आय असमानता अपने उच्चतम स्तर पर है। भारत में आय असमानता 1922-2014 : "ब्रिटिश राज से बिलेनियर( अरबपति) राज तक"नामक शीर्षक से प्रकाशित इस रिपोर्ट से भारत की आर्थिक नीतियों को समझने में एक व्यापक मदद भी मिलने की संभावना है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जब आय असमानता 1980 में गिरकर न्यूनतम स्तर पर आ गई थी तब भारत की प्रति व्यक्ति आय वृद्धि दर भी लगभग न्यूनतम स्तर पर ही रही थी । इस वक्तव्य से अनेक पहलू उभर कर सामने आने लगते हैं। पहला यह कि जब 1980 तक आय असमा
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