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Showing posts from November, 2017

लोक लुभावन और लोकतंत्र

गांधीजी और मैकियावेली ने मनुष्य के प्रति जो अपनी विचारधारा बनाई वह समुद्र के दो किनारों के जैसे थी। जहां गांधी जी मनुष्य को जन्म के आधार पर एक दयालू, ईमानदार और परोपकारी प्राणी मानते हैं वहीं मैकियावेली मनुष्य को उसके कार्यों के आधार पर स्वार्थी, क्रूर बताने का प्रयास करता है। हालांकि मैकियावेली की यह बात गलत ही साबित होती है कि मनुष्य हमेशा ही क्रूर होता है क्योंकि ऐसे तमाम लोग हुए जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सामाजिक कार्यों, मानवता के लिए त्याग दिया चाहे वह नेल्सन मंडेला हों या महात्मा गांधी ।                                 वर्तमान समय में विश्व में लगभग सभी देश लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपना चुके हैं ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि लोगों के अधिकार और मानवता की बात हो परंतु परमाणु हथियार के युग में राष्ट्र हित और अपना हित अत्यंत ही महत्वपूर्ण हो चुका है। आजकल लोकलुभावन जो कि अंग्रेजी के पॉपुलिस्म शब्द से निकल के आया है लोकतंत्र के लिए एक खतरे का संकेत दे रहा है । चाहे वह अमेरिका का चुनाव हो जिसमें डोनाल्ड ट्रंप ने पहले अमेरिका की नीत अपना कर चुनाव जीता हो या फिर फिलीपींस के रोड्रिगो