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Showing posts from September, 2018

राहुल जी का मंदिर दर्शन और मोदी जी का मस्जिद प्रेम कुछ कह रहा है?

2019 के चुनाव में भले ही थोड़ा समय हो लेकिन उसकी आहट ने पार्टियों से लेकर नेताओं को जगा तो दिया ही है। भले ही 2014 के बाद हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार ना मिला हो लेकिन आने वाले चुनाव को देखकर ऐसा लग रहा है कि नेताओं को तो कम से क म एक बढ़िया रोजगार मिल ही गया है। यही नहीं माननीय नेता जी के साथ-साथ उन युवाओं को भी दिहाड़ी मजदूरी मिल ही जाएगी जो तैयार बैठे हैं नेता जी की रैली में जाने के लिए। इस रैली में जाने के लिए युवा फेसबुक से लेकर व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में काफी तैयारी भी कर चुके हैं। पिछले दिनों राहुल जी के मंदिर प्रवेश को लेकर इतनी गहन चर्चाएं हुईं इन यूनिवर्सिटीज में कि ऐसा लगा मानो दुनिया का सबसे बड़ा वाद-संवाद यहीं हो रहा हो और यह सबसे बड़ा मुद्दा भी हो। photo;pti इस गहन चर्चा का संवाद यह निकला कि राहुल गांधी को भी प्रूफ करना पड़ा कि भाई हम भी हिंदू ही हैं भले ही थोड़े उदारवादी ही सही। इसको लेकर राहुल गांधी इतने गंभीर हो गए कि उनको मानसरोवर की यात्रा भी करनी पड़ी। अब ऐसी ही कुछ गहन चर्चा मोदी जी के मस्जिद प्रवेश पर भी हो रही है। यदि आपको पता नहीं कि मोदी जी

क्या सत्ता पाने के लिए एकमात्र रास्ता बहुमत को खुश करना ही बचा है

पिछले दिनों खबर आयी कि राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए हैं। इसको लेकर जहां कांग्रेस काफी उत्साहित दिखी तो वहीं भारतीय जनता पार्टी के अंदर एक बेचैनी का माहौल देखा जा सकता है। आखिर यह बेचैनी क्यों? क्या राहुल गांधी इस यात्रा से एक नए अवतार में आएंगे जिससे आने वाले 2019 के लोकसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सामना करने में असमर्थ होगी या फिर कुछ और ही मसला है। आपको याद होगा गुजरात के पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी के मंदिर जाने को लेकर बड़ा घमासान हुआ था। तब भी बेचैनी ही थी.... और अब भी। लेकिन इससे एक सवाल यह उभरता है कि क्या जनता इस प्रकार के क्रियाकलापों से खुश होकर पार्टियों को सत्ता थमा देती है? आप सोच रहे होंगे ऐसा तो नहीं है। तो फिर क्या राहुल गांधी ने वास्तव में धार्मिक भावना से ही मंदिरों में आना-जाना लगाया है क्योंकि इसके पहले तो ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा था। या फिर कांग्रेस को लोगों ने जो अल्पसंख्यक वर्ग की पार्टी का दर्जा दे दिया है उसको बदलने के लिए राहुल गांधी अलग-अलग मंदिरों में माथा टेकने पहुंच रहे हैं। PHOTO: NDTV राहुल गांधी की कैलाश यात्र

तो क्या अब सरकार पहले युवाओं को तैयार करेगी फिर अगले कार्यकाल में रोजगार देगी?

वर्तमान समय में पूंजीवाद के एक नए रूप ने रोजगार रूपी पहलू पर कहीं-ना-कहीं सोचने पर मजबूर तो कर ही दिया है ।प्रत्येक साल ना जाने कितनी रिपोर्ट प्रकाशित होती हैं जो बेरोजगारी पर नए-नए डाटा हमारे सामने लाती हैं।रोजगार के विषय पर हम एक बार पुनः सोचने पर मजबूर हुए जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रोजगार की नहीं अपितु योग्य उम्मीदवार की कमी है।योगी जी ने एक टीवी चैनल को अपने दिए गए साक्षात्कार में कहा कि 137000 शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है लेकिन योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे हैं, जो परीक्षा पास करें और नौकरी करें।इसके साथ-साथ उन्होंने पुलिस विभाग का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने बताया कि लाखों पद खाली पड़े हैं।योगी जी की इस बात से हम सहमत भी हो सकते हैं कि शायद योग्य उम्मीदवार ना हों लेकिन कई प्रश्न हैं जो सोचने पर मजबूर तो कर ही देते हैं कि क्या वाकई योग्य उम्मीदवार नहीं हैं या फिर कुछ अलग ही मसला है। मसला नंबर एक:  मसलों में सबसे बड़ा मसला तो यही है कि क्या सरकार अब अपने बचे हुए कार्यकाल के दौरान युवाओं को योग्य बनाएगी और उसके बाद अगले कार्यकाल में नौकरी द