नव वर्ष 2018 के शुरुआत में जब ठंड अपने चरम बिंदु की ओर अग्रसर है तो वहीं गंगा जैसी तमाम नदियां अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं। अमूमन दिसंबर-जनवरी के समय गंगा वाराणसी में संतोषजनक जल स्तर के साथ बहती है । लोग नए साल का शुभारंभ गंगा में डुबकी लगाकर करते हैं परंतु साल 2018 के आगमन में ही वाराणसी के घाट जल से दूर हो गए हैं। वाराणसी में गंगा, घाट से करीब 30 फिट दूर बह रही है। जिन नदियों के किनारे सिंधु से लेकर मिस्र जैसी दुनिया की बड़ी-बड़ी सभ्यताएं पली-बढ़ी उन्हीं जीवन रूपी नदियों का लोग ऐसा हाल कर देंगे यह विचलित कर देता है । खासतौर पर तब और ज्यादा जब गंगा जैसी नदियों का , जिनको भारत के बुद्धजीवियों ने आस्था के साथ जोड़ा था। उन्होंने शायद यह नहीं सोचा होगा की आस्था के नए रुप भी आने वाली पीढ़ी निकाल लेगी। बहरहाल जो भी हो हालात अत्यंत दुश्वारियों से सुशोभित हो चुके हैं। 90 के दशक में जब गंगा की हालत अत्यंत बुरी होने लगी तब सरकार का ध्यान इस ओर गया। सन 1986 में जब ...