Skip to main content

Posts

Showing posts from July, 2017

बारिश का बदलता स्वरूप।

यदि आप एक किसान की बात करेंगे तो उसके लिए जितनी आवश्यकता खाद्य पदार्थों ,बीजों की है उतनी ही आवश्यकता पानी की भी है। वर्तमान में जब तकनीकी इतनी आगे बढ़ गई है तब भी बिना अच्छे मानसून के ना केवल खेती-बाड़ी में बल्कि देश की जीडीपी में भी सकारात्मक प्रभाव देखनो को नहीं मिल सकता। देश की भौगोलिक स्थिति के अनुसार अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग मानसून की आवश्यकता होती है ।किसी भी देश की भौगोलिक स्थिति ही वहाँ की सामाजिक ,आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक व्यवस्था की स्थिति तय करती है। वर्तमान में जब मानसून में परिवर्तन देखने को मिल रहा है तो जाहिर है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में सांस्कृतिक, आर्थिक, सामाजिक ,राजनीतिक परिवर्तन भी देखने को मिलेंगे।                    आई आई टी बॉम्बे की एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 1917 से 2013 के बीच जहाँ वर्षा की मात्रा में राजस्थान में 9:00 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है वहीं गुजरात में इसमें 26.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस रिपोर्ट  के पश्चात एक अमेरिकी शोध...

नितीश का इस्तीफा और गठबंधन की राजनीति

जब हम एक लोकतंत्र की बात करते हैं तब इस व्यवस्था में निर्णय, कार्य, समझोते एक सहयोगात्मक भावना से होने चाहिये ना कि एक व्यक्ति विशेष के तानाशाही निर्णय से। शायद यही कारण है ...